तुलसी औषधिय गुणों से भरपूर होने के कारण इसकी पूजा भी जाती है। इसके लाभकारी गुणों की वजह से आयुर्वेद में इसे जड़ी ” बूटियों की रानी” कहा जाता है। इसमें एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल, एंटी-पायरेटिक, एंटी-सेप्टिक, एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-कैंसर गुण होते हैं। कई बीमारियों की दवा बनाने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।
सामान्य नाम – पवित्र तुलसी
Scientific Name – Oscimum Sanctum
अन्य नाम- Sacred basil, Holy basil
प्रकार- सामान्यत –
– रामा तुलसी – हरी पत्ती
– कृष्ण तुलसी – बैंगनी पत्ती
– वन तुलसी
Chemmical Component –
– The leaf volatile oil contains eugenol, β-caryophyllene (about 8%), urosolic acid, carvacrol, linalool, limatrol, methyl carvicol, rosmarinic acid .
– The seed volatile oil have fatty acids and Sitosterol.
प्रयुक्त भागों – सामान्यतः पत्र ( वैसे सम्पूर्ण पौधा उपयोगी )
घरेलु औषधीय उपयोग –
( What is Tulsi good for / tulsi uses / importance of tulsi ?)
https://ayurvedacareindia.com/2019/12/allergic-rhinitis-8005999426.html
बुखार – 2 चम्मच पत्ती का रस + 1 चम्मच शहद, दिन में 1 से 3 बार।
सर्दी और जुकाम – 1 चम्मच पत्ती का रस + चुटकी भर काली मिर्च पाउडर।
खांसी – 1 से 2 चम्मच पत्ती जूस + 1 चम्मच वासा जूस।
त्वचा रोग – पत्ती के रस के समान अनुपात + चूने के रस का अर्क लगाया जा सकता है।
कान का दर्द – 1 बूँद गुनगुने रस की 2 बूंद।
घाव – पत्ती का पेस्ट लगाया जा सकता है।
दांत दर्द – पत्ती का रस बूँदें या पेस्ट।
कोलेस्टरोलमिया और प्रतिरक्षा के लिए – दैनिक 1 चम्मच पत्ती का रस।
तुलसी की चाय कैसे बनाएं
– 1 कप फिल्टर्ड पानी उबालें और इसे 1 चम्मच ताजा तुलसी के पत्तों, 1/2 चम्मच सूखे तुलसी के पत्तों, या 1/3 चम्मच तुलसी पाउडर के साथ डालें।
एक बर्तन में पानी को कवर करें और इसे 20 मिनट के लिए रहने दें (या लंबे समय तक, यदि आप स्वास्थ्य लाभ को अधिकतम करना चाहते हैं)। यदि जरुरी हो, तो शहद जोड़ें और आनंद लें।
NOTE – आयुर्वेद औषधियों की पहचान व आसानी से उपलब्ध नहीं होने पर आजकल सभी उत्पाद तैयार किये हुए टेबलेट, सिरप, अवलेह, ड्रॉप्स, चूर्ण पेटेंट रूप में दवा विक्रेता के पास आसानी से उपलब्ध हो जाते है जो की चिकित्सकीय सलाह के अनुसार उपयोग लिए जा सकते है |