प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) प्राणिओ के शरीर में होने वाली उन जैविक प्रक्रियाओं का एक समूह है, जो रोगकारको (Pathogens) और अर्बुद कोशिकाओं (Tumour cells) को पहले पहचानती है और फिर मार कर उस जीव की रोगों से रक्षा करती है। यह विषाणुओं (Virus), जीवाणुओं (Bacteria), परजीवी कृमियों (Parasites)जैसे विभिन्न प्रकार के एजेंट की पहचान करने मे सक्षम होती है, साथ ही यह इन एजेंटों को जीव की स्वस्थ कोशिकाओं और ऊतकों से अलग पहचान सकती है, और पूरी प्रणाली सुचारु रूप से कार्य करती है |
प्रतिरक्षा प्रणाली के अध्ययन को प्रतिरक्षा विज्ञान (Immunology) कहा गया है।
प्रतिरक्षा प्रणाली कैसे काम करती है ? –
रोगजनकों की पहचान करना एक जटिल कार्य है क्योंकि रोगजनक अपनी सरंचना में परिवर्तन तेजी से करते है और यह स्वयं का अनुकूलन इस प्रकार करते हैं कि प्रतिरक्षा प्रणाली से बचकर सफलतापूर्वक अपने पोषक को संक्रमित कर सकें। शरीर की प्रतिरक्षा-प्रणाली में खराबी आने से रोगाणु प्रवेश करके रोग उत्पन कर देते हैं। प्रतिरक्षा-प्रणाली में खराबी को Immunodeficiency कहते हैं।
Immunodeficiency या तो किसी आनुवांशिक रोग के कारण हो सकता है, या फिर कुछ खास दवाओं या संक्रमण के कारण भी संभव है। इसी का एक उदाहरण है Acquired Immune Deficiency Syndrome (AIDS) जो HIV Virus के कारण फैलता है। ठीक इसके विपरीत स्वप्रतिरक्षित रोग (Autoimmune Disease) एक उत्तेजित Auto Immune System के कारण होते हैं जो साधारण ऊतकों पर बाहरी जीव होने का संदेह कर उन पर आक्रमण करता है।
रक्त की श्वेत कणिकाओं (white corpuscles) में जीवाणु तथा सब बाह्य वस्तुओं को ख़त्म करने की शक्ति होती है। इस कार्य को जीवाणुभक्षण (Phagocytosis) प्रक्रिया द्वारा किया जाता है।इसमें रक्त जीवाणुओं को गला देता है, जो जीवाणुलयन (Bacteriolysis) कहलाता है। इसका कारण रक्त में उपस्थित एक रासायन होता है, जो बैक्टीरियोलयसिन(Bacteriolysin) कहलाता है।
रक्त में उपस्थित एग्लूटिनिन (Aglutinin) के कारण एग्लूटिनेशन (Aglutination) प्रक्रिया द्वारा जीवाणुओं को खत्म किया जाता है | यह जीवाणुओं के रक्तद्रवण (hemolysis) के कारण सम्भव होता है |
Immunity के प्रकार –
१. प्राकृतिक (NaturalImmunity) – जन्म से उपस्थित,
A. जातिगत – Ex.-animals are not affected by many human diseases such as enteric fever, scarlet fever, syphilis, measles, etc.
B. वंशगत -Ex.- Black Africans affected by sickle cell anaemia, are resistant to malaria while malaria affects other human races.
C. व्यक्तिगत –
२. अर्जित (Acquired Immunity) –
A. Humoral Immunity –
Based on the action of soluble proteins called ‘antibodies’.
B. Cellular immunity –
Based on the action of specific kinds of ‘T lymphocytes’.
A. Active –
a. Naturally Active Acquired Immunity- प्राकृतिक रूप से शरीर में संक्रमण के बाद उत्पन्न |
Ex.- life-long immunity as with smallpox, measles, chickenpox, yellow fever etc., or a few years immunity (e.g., diphtheria, tetanus)
b. Artificially Active Acquired Immunity- कृत्रिम रूप से एंटीजन शरीर में प्रवेश करवाने पर उत्पन्न एंटीबाडी के रूप में प्रतिरक्षा Ex.- Vaccines for many infectious diseases such as cholera, tuberculosis, pneumonia, smallpox, polio, tetanus, influenza, measles, rabies, yellow fever etc.
B. Passive –
a. Naturally Passive Acquired Immunity- किसी जीव के शरीर में एंटीजन प्रवेश करने के बाद उत्पन्न एंटीबाडी का प्राकृतिक रूप से दूसरे के शरीर में पहुंचकर प्रतिरक्षा कार्य करना | Ex.- माता से बच्चे में |
b. Artificially Passive Acquired Immunity- कृत्रिम रूप से उत्पन्न एंटीबाडी ,यह कम समय के लिए काम करती है |
Ex.- For Viral disease hepatitis B, chicken pox, arthropod-borne encephalitis, and for bacterial diseases such as botulism, diphtheria, tetanus, staphylococcal-poisoning
इम्युनिटी कम होने के कारण –
१. व्यायाम ना करना
२. सही नींद ना लेना
३. अनुचित पोषण वाला भोजन लेना
४. ज्यादा मात्रा में लम्बे समय तक दवाओं का उपयोग
५. चाय या कोफ़ी का ज्यादा सेवन
६. धूम्रपान या शराब का सेवन
७. तले-भुने पदार्थो का ज्यादा सेवन
८. दूषित वस्तुओ व वातावरण के संपर्क में रहना
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आयुर्वेद –
आयुर्वेद एक प्राचीनतम सम्पूर्ण ज्ञान है जिसमे दिनचर्या, रात्रिचर्या, ऋतुचर्या, सद्वृत का पालन करते हुए आहार- विहार के बारे में बताया गया है | व योग, प्राणायाम, पंचकर्म आदि क्रियाओ के द्वारा शरीर की प्रतिरक्षा मजबूत करने पर जोर दिया गया है |
प्राचीन वेदो में आयुर्वेद का प्रयोजन बताया गया है – १. स्वस्थ के स्वास्थय की रक्षा करना ,२. रोगी का रोग दूर करना
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