प्राचीन ग्रथो के अनुसार आयुर्वेद प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने पर जोर देता है जिससे शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र बाहरी वायरस व जीवाणुओं के खिलाफ
प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न करने में सक्षम होता है , और यह सब आयुर्वेद औषध के अलावा आहार-विहार, ऋतुपरिचर्या, दैनिक परिचर्या, और शुद्ध व सही तरह से निर्मित औषध पर काफी हद तक निर्भर करता है |
आजकल आयुर्वेद के मापदंड जीवनशैली में या औषध उपलब्ध्ता में पुरे नहीं होते और दूसरा आधुनिक विषाणुओ और जीवाणुओं के अनुसार शोध प्रगति में कमी के कारण चिकित्सा पूरी तरह सफल नहीं है | फिर भी आयुर्वेद प्राचीनतम पद्द्ति है जो की काफी हद तक प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करने में सक्षम है और हमेशा देशव्यापी स्तर पर फैली बीमारियों को फैलने से रोकने में सहायक भूमिका निभाई है |
” आयुर्वेद औषधियां कोरोना को खत्म नहीं कर सकती, किन्तु उससे लड़ने और प्रभाव को कम करने में कारगर साबित हो सकती है | अतः आयुर्वेद अपनाये और उत्तम स्वास्थय बनाये रखे |”
Ayush Department Advisory –
आयुष मंत्रालय ने साफ कहा कि ” कोरोनावायरस का अभी तक कोई इलाज नहीं मिला है | “
मंत्रालय ने पिछले महीने एडवाइजरी में संक्रमण फैलने से रोकने के लिए कई उपाय सुझाए थे –
– व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखें,
– अपने हाथों को अक्सर साबुन और पानी से अच्छी तरह धोएं,
– श्वास सम्बन्धी स्वछता बनाये रखे,
– योग और प्राणायाम का अभ्यास नियमित करे
– अस्वस्थ लोगों के साथ संपर्क से दूर रहे,
– ठंडा और जमे हुए भोजन और ठंडी हवा से बचे
इसने जड़ी-बूटियों का एक मापदंड भी निर्धारित किया था, सलाहकार मंत्रालय द्वारा विकसित मलेरिया-रोधी आयुर्वेदिक दवा, आयुष 64, नाक में तिल के तेल का उपयोग, और आहार में
तुलसी (Basil-Oscimum Santum), अदरक (Ginger-Gingiber Oficinale),
गुडूची (Tinospora Cordifolia) और हल्दी (Turmeric-Curcuma Longa) का सेवन करने का सुझाव देते हैं।
आयुर्वेदिक प्रथाओं के अनुसार रोगनिरोधी उपाय / इम्यूनोमॉड्यूलेटरी ड्रग्स।
– स्वस्थ आहार और जीवन शैली प्रथाओं के माध्यम से प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए उपाय किए जाए।
– अगस्त्य हरितकी 5 ग्राम, दिन में दो बार गर्म पानी के साथ।
– संशमनी वटी 500 मिलीग्राम दिन में दो बार।
– त्रिकटु (पिप्पली, मारीच और शुंठी) पाउडर 5 ग्राम और तुलसी 3-5 पत्तों (1-लीटर पानी में उबाला जाता है, जब तक कि यह आधा लीटर तक कम हो जाता है और इसे एक बोतल में रखते है) इसे आवश्यकतानुसार और जब चाहे तब 15-20 ml में लेते रहें।
– प्रतिमर्श नस्य प्रत्येक नासाछिद्र में प्रतिदिन सुबह-शाम अणु तेल / तिल के तेल की 2 बूंदें डालें।
यह भी कहा गया है कि आयुर्वेद ने “संक्रमणों के खिलाफ प्रतिरक्षा को बढ़ाने की दिशा में काम किया है ..|”
इन उपायों को संबंधित चिकित्सा प्रणाली में ऐसे वायरल रोगों के दृष्टिकोण के सिद्धांतों के आधार पर सलाह दी जाती है जहां श्वसन शामिल है।
आयुष मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इस सलाह में कोरोना वायरस के लिए न तो प्रभावी उपचार का दावा किया और न ही कोरोना वायरस से पूरी तरह निपटने के लिए कोई विशिष्ट दवा का सुझाव दिया |
” व्यक्तिगत स्वच्छ उपाय और कुछ हर्बल तैयारियां जो स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए सहायक हो सकती हैं,। यह भी सलाह दी गई थी कि इन तैयारियों का उपयोग संबंधित चिकित्सा पद्धति से पंजीकृत चिकित्सकों के परामर्श से किया जाना चाहिए ” ।